“”कीचड़ में ही कमल खिलते हैं-सूरज सिंह””कतरास के हास्य कलाकर सह अभिनेता सूरज सिंह अपने स्कूल कॉलेज के दिनों से ही कॉमेडी और डांस किया करते थे।लेकिन,उस समय पैसों का कोई लालच नहीं था।मुफ्त में ही किसी के भी बुलाने पर स्टेज प्रोग्राम के लिए लगातार जाया करते थे।धीरे-धीरे इनकी चर्चा होने लगी।सभी कार्यक्रमों में लोग इन्हें बुलाने लगे।फिर कई लोग ख़ुशी से सूरज को कार्यक्रम के बदले पैसे देने लगे।इस तरह के कार्यक्रम हमेशा मिलने लगे।सूरज जब काफी विख्यात हुए।तब इन्हें खोरठा म्यूजिक एल्बम में काम करने का मौका मिला।चंदा चकोरी इनका पहला म्यूजिक एल्बम हैं।जिसमें सतीश ने सभी गीत गाये हैं।इसके अलावे जय झारखण्ड,नाम तोर जोशना,दोयाल बाबा लगभग 50 से भी ज़्यादा एल्बम कर चुके हैं।कई काम करने के बावजूद इन्हें संतुष्टि नहीं हुई।क्योंकि ,जरूरतें भी बढ़ रही थी।ऐसे में सिर्फ कलाकारी करके पैसे कमाना थोड़ा सा मुश्किल रहा।परिवार का भी दायित्व बढ़ रहा था।शादी के बाद तो और भी ज़िम्मेदारी बढ़ गयी।चूँकि, घर परिवार सब कुछ देखना था।किसी का कोई सहयोग नहीं था।ऐसे में सूरज ने सोचा इस तरह के काम छोड़ कर कुछ और करना चाहिए।पर,कहते हैं न हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता हैं।यही चीज सूरज के साथ भी हुआ।सूरज की पत्नी ने सूरज से कहा-आप अपनी प्रतिभा को मत मारिये।आप अपना काम जारी रखें।मैं सदैव आपके साथ हूँ।सूरज को उसकी पत्नी का साथ उसे काफी प्रोत्साहित किया।इन्होंने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।अपने गुरु और सहयोगी बंकिम वर्मा के साथ से आज सूरज छोटे-बड़े सभी तरह के कार्यक्रम कर रहे हैं।इसके बावजूद कई फिल्में जैसे दीवाना दादू भी कर रहे हैं।इन्होंने छैला बिहारी के साथ भी एक फिल्म परदेसी गावनवां हमार की हैं।इनके कार्यो के सम्मान में कई बड़े विधायक,सांसद और मंत्री इन्हें सम्मानित कर चुके हैं।जैसे पूर्व मंत्री श्री मथुरा प्रसाद महतो,गोड्डा बड़ियाहाट विधायक प्रदीप यादव,बांका विधायक संजय यादव आदि के द्वारा सूरज सम्मानित किये जा चुके हैं।खोरठा भाषा के विषय में इनका कहना हैं कि जब तक वे ज़िंदा हैं।तब तक खोरठा गीत संगीत फिल्म आदि में काम करते रहेंगे।झारखण्ड में अपने राज्य का टीवी चैनल हो।ताकि क्षेत्रीय कलाकारों के कार्यक्रम दिखाये जाए।जिससे यहाँ के कलाकारों को एक जगह मिले।युवा वर्ग को इनका एक ही सन्देश हैं कि हमेशा अपने कला से दूसरों का प्यार पाने की कोशिश करें।